साथ रंग न छूटे


"साथ रंग न छूटे"

रंगों की बहार 
प्रेम की फुहार 
फागुन की बयार 
होली का त्यौहार 

छोड़ो मन के द्वेष 
लगो एक ही भेष 
फिर काहे का क्लेश
छोड़ो कल पर शेष

साथ रंग न छूटे
और न छूटे अपने 
सपने भी रंग लाए
जीवन में अपने 

जीवन का हर गीत 
सजे तुम्ही से मीत 
न छोड़ूँ मैं रीत 
कहूँ किसे यह जीत

-कुसुम ठाकुर-     
  

1 comment:

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति ...होली की शुभकामनायें