दुःख के दिन भी कट जायेंगे


"दुःख के दिन भी कट जायेंगे"

सुख के दिन न रहे सदा तो
दुःख के दिन भी कट जायेंगे

भाग्य समझ मनमीत मिले तो  
सहज सफ़र फिर हो जायेंगे

जीवन में सद्भाव अगर हो
भाव प्रेम के क्यूँ कम होंगे  

एक है मांझी नाव कई है
धैर्य धरो हम नाव चढ़ेंगे 

भाग दौड़ है इस जीवन में
ठहरावों पर गले मिलेंगे  

 -कुसुम ठाकुर-

11 comments:

श्यामल सुमन said...

भाग दौड़ है इस जीवन में
ठहरावों पर गले मिलेंगे

सचमुच कुसुम जी - प्रायः हम सभी इसी ठहराव की तलाश में तो रोज भाग रहे हैं और सारी दुनिया में भागमभाग मची है। बहुत खूबसूरत रचना नूतन आशाओं का संचार करती - वाह - क्या बात है?
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
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संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

भाग दौड़ है इस जीवन में
ठहरावों पर गले मिलेंगे

बस इसी ठहराव का इंतज़ार है ..सुन्दर रचना

रविकर said...

सुख के दिन न रहे सदा तो
दुःख के दिन भी कट जायेंगे ||


बहुत ही अच्छी प्रस्तुति ||
बधाई ||

अनामिका की सदायें ...... said...

komal abhivyakti.

सुरेन्द्र सिंह " झंझट " said...

सुख के दिन na रहे सदा तो
dukh के दिन bhi कट jayenge
.............................sundar bhavon ki rachna

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

कुसुम जी,

आरजू चाँद सी निखर,
जिन्‍दगी रौशनी से भर जाए,
बारिशें हो वहाँ वे खुशियों की,
जिस तरफ आपकी नजर जाए।
जन्‍मदिन की हार्दिक शुभकामनाएँ।
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Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार said...

कुसुम जी

सर्वप्रथम
जन्मदिन की हार्दिक बधाइयां और शुभकामनाएं !

रचना बहुत सुंदर है
सुख के दिन न रहे सदा
… तो दुःख के दिन भी कट जाएंगे


बहुत भावपूर्ण !

आभार एवं हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !

- राजेन्द्र स्वर्णकार

smshindi By Sonu said...

फूलो ने बोला खुशबू से
खुशबू ने बोला बादल से
बादल ने बोला लहरो से
लहरो ने बोला साहिल से
वोही हम कहते हें दिल से
जन्मदिन कि शुभ कामना

जन्मदिन की हार्दिक बधाइयां और शुभकामनाएं !

smshindi By Sonu said...

मेरी नई पोस्ट पर आपका स्वागत है!
मेरे मित्र सवाई सिंह राजपुरोहित के जन्मदिन पर विशेष पोस्ट पर आपका स्वागत है ..

Surendra shukla" Bhramar"5 said...

कुसुम ठाकुर जी बहुत ही प्यारी रचना और सुन्दर सन्देश -शुभकामनाएं
जीवन में सद्भाव अगर हो
भाव प्रेम के क्यूँ कम होंगे
शुक्ल भ्रमर ५

lata said...

bhag rahen hai bhag rahe hain
kahan kyun nahi jante
bas bhag rahe hai bhag rahe hain.

kusum ji these are linesfrom my poem published in Bhor-hindi kavya sangrah.Duniya bhagam bhag men hi bhatak gayi hai.