मुझे आज मेरा वतन याद आया



 "मुझे आज मेरा वतन याद आया"

मुझे आज मेरा वतन याद आया।
ख्यालों में तो वह सदा से रहा है ,
 मजबूरियों ने जकड़ यूँ रखा कि,
मुड़कर भी देखूँ तो गिर न पडूँ मैं ,
यही डर मुझे तो सदा काट खाए ।
मुझे आज ......................... ।


छोड़ी तो थी मैं चकाचौंध को देख ,
 मजबूरी अब तो निकल न सकूँ मैं,
करुँ अब मैं क्या मैं तो मझधार में हूँ ,
इधर भी है खाई, उधर मौत का डर ।
मुझे आज ............................... ।


बचाई तो थी टहनियों के लिए मैं ,
है जोड़ना अब कफ़न के लिए भी ।
काश, गज भर जमीं बस मिलता वहीँ पर ,
मुमकिन मगर अब तो वह भी नहीं है ।
मुझे आज ................................ ।


साँसों में तो वह सदा से रहा है ,
मगर ऑंखें बंद हों तो उस जमीं पर।
इतनी कृपा तू करना ऐ भगवन ,
देना जनम  निज वतन की जमीं पर ।
मुझे आज .................................. ।

-कुसुम ठाकुर-

7 comments:

vandana gupta said...

बहुत सुन्दर भावाव्यक्ति।

Chaitanyaa Sharma said...

बहुत प्यारी कविता.....स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनायें ..जय हिंद

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
स्वतन्त्रता की 65वीं वर्षगाँठ पर बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!

संगीता पुरी said...

बहुत खूब प्रस्‍तुति ... आपके इस सुंदर सी प्रस्‍तुति से हमारी वार्ता भी समृद्ध हुई है !!

नीरज गोस्वामी said...

स्वतंत्रता दिवस की शुभकानाएं

बेहतरीन रचना, बधाई स्वीकारें

नीरज

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') said...

बहुत बढ़िया....
राष्ट्र पर्व की सादर बधाईयाँ...

JAGDISH BALI said...

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